कौन है?-
इंस्पेक्टर ठकराल मानसिक तौर यह बात तो स्वीकार कर चुका था कि उसका इस जगह पर होना कोई साधारण घटना नहीं थी बल्कि सोची समझी साजिश थी। और उसके मन की आवाज को सही ठहरा रहा हो ऐसी उस लड़की की डरावनी हँसी चारों तरफ गूंजने लगी। बौखलाए हुए इंस्पेक्टर ठकराल ने उस कातिलाना हँसी के उद्गम स्थान को ढूँढने की नाकाम कोशिश की। मगर शैतानी रूह जैसे आज उसका मजा लेने के मूड में थी-----एक पल के लिए ठकराल को लगा वह पागल हो जाएगा। इस हँसी को सुनते-सुनते वह सचमुच पागल हो जाएगा। आस पास घने वृक्षों पर लंगूर हिचकोले खा रहे थे। तभी तो पेड़ों पर उनकी आवाजें सुनाई दे रही थी। ठकराल डरावने माहौल को नजरअंदाज करते हुए जोर से दहाड़ा। "कौन हो तुम? और मुझसे क्या चाहती हो? मुझे इस तरह परेशान मत करो?" इंस्पेक्टर ठकराल बिना रुके बोलता जा रहा था। "मैं तुम्हारा पूरा खेल समझ चुका हूँ। तुम जो कोई भी हो एक बार मेरे सामने आ जाओ। फिर तुमको देखता हूँ। इस तरह मेरे साथ आँख मिचोली खेल कर डराने से मैं डरने वाला नहीं हूँ। सुन रही हो तुम? मैं तुम से डरने वाला नहीं हूँ। हिम्मत है तो मुझसे मुकाबला करो। मेरे सामने आकर दिखलाओ!" ठकराल जोर जोर से चिल्ला रहा था। लेकिन रात का भयानक सन्नाटा ठकराल की खिल्ली उड़ा रहा था। ठकराल ने जैसे ही चिल्लाना शुरू किया उस लड़की की हँसी कुछ देर के लिए रुक गई थी। मगर जैसे ही बोल बोल कर वह थक गया कि तभी उस शैतानी रूह की हँसी दोबारा चारों तरफ गूँजने लगी। दहाड़े मार-मार के ठकराल का गला दुःख गया। शैतानी रूह उसके सामने आना नहीं चाहती थी। शायद शैतानी रूह का मकसद सिर्फ उसे डराना था। ठकराल को ऐसा लगा जरूर पर वह श्योर नहीं था। शैतानी रूह की हँसी चारों तरफ से गूँजती हुई ठकराल का तनाव बढ़ा रही थी। ठकराल ने वहाँ से भागने का मन बना लिया क्योंकि निर्मोही की चेतावनी सुनने के बाद वहाँ रुकना खतरे से खाली नहीं था। वह गफलत में आकर अपनी जान को जोखिम में डाल चुका था। लेकिन अब उसे सबकुछ समझ में आ गया था तो जल्द से जल्द इस जगह को छोड़ देने में ही उसने अपनी भलाई समझी। ठकराल अपना बुलेट स्टार्ट करके तेजी से उस पर सवार हो गया। जैसे ही उसने बुलेट को भगाया उसके पीछे उसी लड़की की चीखें गूंँजने लगी। बुलेट को धीमी गति से ड्राइव करते हुए उसने पलट कर एक नजर पीछे देखा। पीछे का दृश्य उसके होश उड़ाने के लिए काफी था। क्योंकि इस वक्त वह खुद अपने बुलेट के पीछे उसी लड़की को घसीटते हुए ले जा रहा था। इंस्पेक्टर ठकराल समझ चुका था, 'अगर बुलेट को रोका तो इस बार उसकी खैर नहीं थी। शैतानी रूह उसका क्या हश्र करेगी यह सोचकर ही ठकराल के पसीने छूट रहे थे। उसने एक पल के लिए भी रुकना मुनासिब नहीं समझा। फिर भी लड़की की चीखे बुलेट ड्राइव कर रहे ठकराल का ध्यान भंग कर रही थी। ठकराल वहाँ से बाहर भी निकल नहीं पाया था कि अचानक उसने पीछे किसी को महसूस किया। 'पीछे कोई बैठा है।' इस बात की खराई करने की सोच ही रहा था कि कुछ ऐसा हुआ जिससे ठकराल के जाल हलक में अटक गई। किसी ने पीछे से अपने होने का एहसास दिलाते हुए इंस्पेक्टर ठकराल को कमर से आलिंगन में भर लिया था। अपने सीने पर बदबूदार हाथों को महसूस करते ही उसका बैलेंस बिगड़ गया। बुलेट से इंस्पेक्टर ठकराल नीचे गिर पड़ा। इस तरह के नीचे गिरने से उसके घुटनों में और कंधे पर खरोच आई थी। वह दर्द से कराह ने लगा। गिरने के कारन कहाँ कहाँ लगा था कहना मुश्किल था। क्योंकि अंधेरा ही इतना था तो कुछ लिखने का तो सवाल ही नहीं उठता था। जिस तरह से घुटनों पर कोहनी पर और कंधे पर जलन हो रही थी वहाँ ज्यादा चोटें आई होगी ऐसा ठकराल को लगा। वह जब तक संभलता उससे पहले अपने बुलेट को घूम कर वापस उसकी और आता हुआ देखकर वह उछल कर खड़ा हो गया। जान के लाले पड़े हो तब चोट को लेकर रोया नहीं जाता इस बात को उस से बेहतर कौन समझ सकता था। उसके दिमाग ने इस बात को कबूल कर लिया कि मुसीबत अभी टली नहीं है बल्कि सिर पे मंडरा रही थी। यमदूत की तरह अपना ही बुलेट वापस आता देखकर ठकराल के छक्के छूट गए थे। बौखलाया हुआ इंस्पेक्टर ठकराल अपनी जान बचाने के लिए सब कुछ भूल कर विपरीत दिशा में भागने लगा। घुटनों में चोट की वजह से उसे भागने में काफी परेशानी हुई। बुलेट जैसे ही उसकी बगल से गुजरा किसी ने जोर से उसकी गर्दन पर प्रहार किया। वार इतना जबरदस्त था कि ठकराल दो-तीन चक्कर घूम गया--- लड़खड़ाया और जोर से मुंह के बल जमीन पर गिरा। कुछ देर तो वह बेसुध सा होकर पड रहा। ठकराल को होश आया तो ठीक उसके सामने उसका अपना बुलेट खड़ा था। बुलेट पर एक काला साया बैठा हुआ नजर आया। इंसक्टर ठकराल ने अपने शरीर को किसी मजबूत बेल से बंधा हुआ पाया। आगे क्या होने वाला है वह सोच कर उसके रोंगटे खड़े हो गए। आँखों में अंधेरा सा छाने लगा। वह इतना डर गया था कि उसे लगा कहीं ये शैतानी रूह उसके साथ मारिया के जैसा सुलूक तो नहीं करेगी ना? मारिया की हालत देखकर ठकराल की रूह तक कांप उठी थी--- और अब बारी उसकी थी। "तुम मेरे साथ यह सब क्यों कर रही हो?" इंस्पेक्टर ठकराल डरते डरते बोला, "मुझे मार कर तुम्हें क्या मिलेगा? मुझे बख्श दो--- छोड़ दो मुझे। मैं तुम्हारे रास्ते में कभी नहीं आऊंगा। मुझे नहीं पता तुम्हारी निर्मोही के साथ क्या दुश्मनी है? मैं नहीं जानता तुम्हारी उसकी बहनों के साथ क्या दुश्मनी है? लेकिन एक बात का भरोसा दिलाता हूँ कि आज के बाद मैं इस मामले में कभी दखल नहीं दूँगा। मुझे यहाँ से जाने दो प्लीज।" ठकराल मौत को इतने करीब देखकर गिड़गिड़ा उठा। अपनी जिंदगी की भीख माँगने लगा। मगर ठकराल उस बात से बिल्कुल भी अनजान था कि लोकेश के हत्थे चढ़ गया है। अचानक बुलेट की आवाज बढ़ गई उसके साथ ही इस्पेक्टर ठकराल की धड़कने भी तेज हो गई। एक झटके के साथ बुलेट भागा। ठकराल के मुंह से चीख निकल गई। बुलेट के पीछे घसीट ने के कारण उसे बहुत जलन होने लगी थी। ऐसा लग रहा था जैसे बदन को कोई आरी से काट रहा था। @@@@@@